एक बार की बात है।

एक बार की बात है। बहुत से मेंढक जंगल से
जा रहे थे।
वे सभी आपसी बातचीत में कुछ
ज्यादा ही व्यस्त थे। तभी उनमें
से दो मेंढक एक जगह एक गड्ढे में गिर पड़े।
बाकी मेंढकों ने देखा कि उनके दो साथी बहुत
गहरे गड्ढे में गिर
गए हैं।
.
गड्ढा गहरा था और इसलिए
बाकी साथियों को लगा कि अब उन
दोनों का गड्ढे से बाहर
निकल पाना मुश्किल है।
.
साथियों ने गड्ढे में गिरे उन
दो मेंढकों को आवाज लगाकर
कहा कि अब तुम खुद को मरा हुआ मानो।
इतने गहरे गड्ढे से
बाहर निकल पाना असंभव है।
दोनों मेंढकों ने बात को अनसुना कर
दिया और बाहर निकलने
के लिए कूदने लगे।
बाहर झुंड में खड़े मेंढक उनसे चीख कर कहने
लगे कि बाहर निकलने
की कोशिश करना बेकार है। अब तुम बाहर
नहीं आ पाओगे।
थोड़ी देर तक कूदा-फांदी करने के बाद
भी जब गड्ढे से बाहर
नहीं निकल पाए तो एक मेंढक ने आस छोड़
दी और गड्ढे में और
नीचे की तरफ लुढ़क गया। नीचे लुढ़कते
ही वह मर गया।
दूसरे मेंढक ने कोशिश जारी रखी और
अंततः पूरा जोर लगाकर
एक छलांग लगाने के बाद वह गड्ढे से बाहर
आ गया।
जैसे ही दूसरा मेंढक गड्ढे से बाहर
आया तो बाकी मेंढक
साथियों ने उससे पूछा- जब हम तुम्हें कह
रहे थे कि गड्ढे से बाहर
आना संभव नहीं है तो भी तुम छलांग मारते
रहे, क्यों ?
इस पर उस मेंढक ने जवाब दिया- दरअसल
मैं थोड़ा-
सा ऊंचा सुनता हूं और जब मैं छलांग
लगा रहा था तो मुझे
लगा कि आप मेरा हौसला बढ़ा रहे हैं और
इसलिए मैंने कोशिश
जारी रखी और देखिए मैं बाहर आ गया।
सीख : यह कहानी हमें कई बातें कहती है ।
पहली यह कि हमें
हमेशा दूसरों का हौसला बढ़ाने वाली बात
ही कहनी चाहिए ।
दूसरी यह कि जब हमें अपने आप पर
भरोसा हो तो दूसरे क्या कह
रहे हैं इसकी कोई परवाह नहीं करनी चाहिए ।

यदि कबीर जिन्दा होते

यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे
यह होते :-
नयी सदी से मिल रही, दर्द
भरी सौगात!
बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!!
अब तो अपना खून भी, करने लगा कमाल!
बोझ समझ माँ-बाप को, घर से
रहा निकाल!!
पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज!
कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज!!
भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास!
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास!!
मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश!
बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश!!
बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान!
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान!!
पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग!
मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग!!
फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर!
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर!
पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर
पाप!
भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप!!

लालबहादुर शास्त्री

किसी गाँव में रहनेवाला एक छोटा लड़काअपने
दोस्तों के साथ
गंगा नदी के पार मेला देखने गया। शाम को वापस
लौटते समय जब
सभी दोस्त नदी किनारे पहुंचे तो लड़के ने नाव के
किराये के लिए
जेब में हाथ डाला। जेब में एक पाई भी नहीं थी।
लड़का वहीं ठहर
गया। उसने अपने दोस्तों से कहा कि वह और
थोड़ी देर
मेला देखेगा। वह नहीं चाहता था कि उसे अपने
दोस्तों से नाव
का किराया लेना पड़े। उसका स्वाभिमान उसे
इसकी अनुमति नहीं दे रहा था।
उसके दोस्त नाव मेंबैठकर नदी पार चले गए। जब
उनकी नाव
आँखों से ओझल हो गई तब लड़के ने अपने कपड़े
उतारकर उन्हें सर
पर लपेट लिया और नदी में उतर गया। उस समय
नदी उफान पर
थी। बड़े-से-बड़ा तैराक भी आधे मील चौड़े पाट को पार
करने
की हिम्मत नहीं कर सकता था। पास खड़े मल्लाहों ने
भी लड़के
को रोकने की कोशिश की।
उस लड़के ने किसी की न सुनी और किसी भी खतरे
की परवाह न
करते हुए वह नदी में तैरने लगा। पानी का बहाव तेज़
था और
नदी भी काफी गहरी थी। रास्ते में एक नाव वाले ने
उसे
अपनी नाव में सवार होने के लिए कहा लेकिन वह
लड़कारुका नहीं,
तैरता गया। कुछ देर बाद वह सकुशल दूसरी ओर पहुँच
गया।
उस लड़के का नाम था ‘लालबहादुर शास्त्री’.

Corporate Culture

दो वर्ष तक नौकरी करने के बाद एक व्यक्ति को समझ में आया कि इन दो सालों में ना कोई प्रमोशन, ना ट्रांसफ़र, ना कोई तनख्वाह वृद्धि, और कम्पनी इस बारे में कुछ नहीं कर रही है.. उसने फ़ैसला किया कि वह HR मैनेजर से मिलेगा और अपनी बात रखेगा... 
लंच टाईम में वह HR मैनेजर से मिला और उसने अपनी समस्या रखी.. HR मैनेजर बोला, मेरे बच्चे तुमने इस कम्पनी में एक दिनभी काम नहीं किया है... कर्मचारी भौंचक्का हो गया और बोला - ऐसा कैसे.. पिछले दो वर्ष से मैं यहाँ काम कर रहा हूँ.. HR मैनेजर बोला - देखो मैं समझाता हूँ...

मैनेजर - एक साल में कितने दिन होते हैं ?

कर्मचारी - 365 या 366

मैनेजर - एक दिन में कितने घंटे होते हैं ?

कर्मचारी - 24 घंटे

मैनेजर - तुम दिन में कितने घंटे काम करते हो ?

कर्मचारी - सुबह 8.00 से शाम 4.00 तक, मतलब आठ घंटे..

मैनेजर - मतलब दिन का कितना भाग तुम काम करते हो ?

कर्मचारी - (हिसाब लगाता है) 24/8= 3 एक तिहाई भाग

मैनेजर - बहुत बढिया..अब साल भर के 366 दिनों का एक-तिहाई कितना होता है ?

कर्मचारी - (???) 366/3 = 122 दिन..

मैनेजर - तुम "वीक-एण्ड" पर काम करते हो ?

कर्मचारी - नहीं

मैनेजर - साल भर में कितने वीक-एण्ड के दिन होते हैं ?

कर्मचारी - 52 शनिवार और 52 रविवार, कुल 104

मैनेजर - बढिया, अब 122 में से 104 गये तो कितने बचे ?

कर्मचारी - 18 दिन

मैनेजर - एक साल में दो सप्ताह की"सिक लीव" मैं तुम्हें देता हूँ, ठीक ?

कर्मचारी - जी

मैनेजर - 18 में से 14 गये,
तो बचे 4 दिन, ठीक ?

कर्मचारी - जी

मैनेजर - क्या तुम मई दिवस पर काम करते हो ?

कर्मचारी - नहीं..

मैनेजर - क्या तुम 15 अगस्त,26 जनवरी और 2 अक्टूबर को काम करते हो ?

कर्मचारी - नहीं..

मैनेजर - जब तुमने एक दिन भी काम नहीं किया, फ़िर किस बात की शिकायत कर रहे हो भाई

This is Corporate Culture..... .!

भारत का हर नागरिक हिन्दू है

"भारत का हर नागरिक हिन्दू है"
यह वाक्य न जाने कितने कार्यक्रमों में दोहराया गया है अनेक राष्ट्रवादियो द्वारा मेरे द्वारा भी किन्तु मोहन भागवत जी ने जब ये बात कही तो सारा मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीव व धर्मनिरपेक्ष लोग पिल पड़े क्युकि भागवत जी बड़ी शख्सियत है उनका विरोध करेंगे तो मीडिया में छाने का मौका मिलेगा और राजनीति चमकाने का भी इसलिए लेकर बैठ गए अपना पुराना राग ये सांप्रदायिक बयान है इत्यादि,
फिर करेंगे मुसलमानो सिक्खो ईसाइयो बौद्धो जैनो को कंफ्यूज हम न कहते थे मोदी के आने के बाद भारत हिन्दू राष्ट्र बन जायेगा और लोग लगेंगे लड़ने दंगा फसाद करने,
"मै पूछता हूँ भारत हिन्दू राष्ट्र कब नहीं था? जो मोदी भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे "
बारहवीं शताब्दी में हज़रत आमिर खुसरो ने घोषणा की "मै हिन्दवी तोता हूँ और हिन्दवी बोलता हूँ"
उस समय भी भारत से जो लोग हज करने अरब जाते थे उन्हें अरबी लोग अल-हिन्दी कहते थे और आज भी भारतीय हज यात्रियों को अरब के लोग अल-हिन्दी ही कहते है।
भाई मेरे हिंदुत्व हमारी सांस्कृतिक पहचान है हमारे राष्ट्र की पहचान है , "हिन्दू" किसी पूजा पद्धति का पर्याय नहीं "हिन्दू" तो मादरे वतन हिंदुस्तान की औलाद होने का पर्याय है,
हिंदुत्व की जड़ से जुड़ने पर ही बनेगा अखंड भारत नहीं तो ओवैसी, अफज़ल गुरु और टी.आर.एस. की सांसद की तरह जिन्नाह की जायज़ औलादे हमारे पाक वतन हिंदुस्तान को तोड़ने की कोशिश करेंगे पर हम ऐसा हरगिज़ नहीं होने देंगे।
हिंदी हैं हम, हिंदी हैं हम, हिंदी हैं हम
वतन है हिंदुस्तान हमारा
मै हिंदुस्तान में रहता हूँ मादरे वतन हिन्द का लाल हूँ इसलिए
"मै हिन्दू हूँ"

एक देशभक्त के नाम

एक देशभक्त के नाम
सचे मन से जरुर पढ़े।।
हैं भारत के हम पहरेदार।
हैं भारत के हम पहरेदार।
भारत के ये देश प्रेम की धारा हैं
दिल कोमल फुल के जेसा
मगर दुश्मन के लिए अंगारा है।
सरहद पर अपनी खड़े खड़े
हम अपना फर्ज निभाते हैं।
देकर जान भी धरती को
भारत का कर्ज चुकाते हैं।
सींच लहू से इस धरती का
चमन हमी ने संवारा हैं।
हम देश भक्त हैं मतवाले
समझे बस प्रेम की बोली हैं।
उनको भी सबक सीखा देते
जो खेले खून की होली हैं।
यही देश प्रेम के जगने से
चमके भारत का सितारा हैं।
हम पहरेदार हैं भारत के
ये देश प्रेम की धारा हैं।
नित लालो ने सर्वस्व त्यागा हैं
लाल लाखो खोकर भी
लाखों की भाग्य विधाता हैं।
ऐसे भी लाल दिए हमने
जिसने यहाँ गंगा को उतारा हैं।
हम पहरेदार हैं भारत के
ये देश प्रेम की धारा हैं।
दिल कोमल फुल के जेसा
मगर दुश्मन के लिए अंगारा हैं।
हैं हम भारत के पहरेदार
हैं हम लाल माँ भारत के
जय हिन्दू राष्ट्र
वंदे मातरम्

एक महिला

एक महिला को मुंबई
में नौकरी मिल गई।
.
वह अकेली ही नौकरी ज्वाइन करने
पहुंची,
वहां कंपनी ने उसे रहने के लिए एक
फ्लैट
भीदे दिया।
.
महिला ने सोचा कि अपने
पति को सूचना दे दूं
ताकि उन्हें चिंता न हो, उसने पति के
लिए
मोबाइल में एसएमएस लिखा परन्तु
गलती से
गलत नंबर पर भेज दिया।
.
जिस आदमी को वह एसएमएस
मिला उसकी पत्नी गुजर गई थी और
वह
अभी-अभी अंतिम संस्कार करके
लौटा था।
.
एसएमएस पढ़ते ही वह आदमी बेहोश
हो गया और उसे अस्पताल में
भर्ती कराना पड़ा।
.
एसएमएस में लिखा था -
.
डियर, मैं सही-सलामत पहुंच गई हूं
और
यहां रहने के लिए अच्छी जगह
भी मिल
गई
है.....
.
आप बिलकुल चिंता मत करना बस
1-2
दो दिन में ही आपको भी बुला लूंगी।
.
.
आपकी पत्नी ........   

कड़वा सत्य

कलयुग मै ऐ केडा बेटा ?

जीवता:माँ-बाप ने रोटी नही देवे. मरिया पछे सुर्मा लाप्सी जीमा वे।

जीवता:माँ-बाप ने पानी नही पावे.मरिया पछे प्याऊ खोलावे।

जीवता:माँ-बाप सु मुंडे नही बोले.मरिया पछे आसुडा बहावे।

जीवता:माँ-बाप ने तीर्थ नही करावे.मरिया पछे गंगा पुष्कर जावे।

जीवता:माँ-बाप रो इलाज नही करावे.मरिया पछे दवाखाना बंधावे।

जीवता:माँ-बाप ने खर्चो नही देवे.मरिया पछे रुपया उड़ावे।

जीवता:माँ-बाप रो मुड़ो नी देकियो.मरिया पछे रोज फोटु माते हार चडावे।

माँ-बाप तो पुजवा लायक चार धाम है इणोरी बददुआ लेईजो मती इणोरो कदई अपमान मती करजो इणोने दुःख मती देइजो अपोरा कारण माँ-बाप मोत नी बुलावे कारण....जेडो बावोला वेडोइज उगेला।

माँ-बाप री सेवा करजो भाइयो.ओ मार्ग है बडोई तप धारी।

दोस्तो इन नवी पीढ़ी रा संस्कार अगर नही सुधारिया तो वे दिन दुर कोनी-जद जानवरो जेडी पाजरा पोल अपोरे वास्ते खुलेला।

एक आदमी

एक आदमी स्कूटर पर बैठ कर पिक्चर हाल
के सामने संता से पूछ बैठा :-
आदमी :- भाईसाहब , स्कूटर स्टैंड कहाँ है ?
संता :- भाईसाब , पहले आप अपना नाम
बताइये ?
आदमी :- रमेश !
संता :- आपके माता पिता क्या करते हैं ?
आदमी :- क्यों ? वैसे भाईसाब मैं , लेट
हो जाऊंगा और पिक्चर शुरू हो जाएगी !
संता :- तो जल्दी बताओ ??
आदमी :- मेरी माँ , एक डॉक्टर हैं और मेरे
पिता जी इंजीनियर हैं ! अब बता दीजिये ?
संता :- आपके नाम कोई जमीन जायजाद
है ?
आदमी :- हाँ , गांव में एक खेत मेरे नाम है ?
प्लीज़ भाईसाब अब बता दीजिये स्कूटर
का स्टैंड कहाँ है ?
संता :- आखिरी सवाल , तुम पढ़े लिखे हो ?
आदमी :- जी हाँ ! मैं, MBA कर रहा हूँ ! अब
बताइये जल्दी से !
संता :- भाईसाब , देखिये
आपकी पारिवारिक
पृष्ठभूमि इतनी अच्छी है , आपके
माता पिता दोनों उच्च शिक्षित हैं , आप
खुद भी इतने पढ़े लिखे हैं , पर मुझे अफ़सोस
है कि आप इतनी सी बात नहीं जानते
कि स्कूटर का स्टैंड उसके नीचे
लगा होता है , एक मेन और एक साइड वाला !
हा हा हा   

एक बार एक किसान की घड़ी

एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसे तो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था.

उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे में खोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर तामाम कोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चय किया की वो इस काम में बच्चों की मदद लेगा और उसने आवाज लगाई , ” सुनो बच्चों , तुममे से जो कोई भी मेरी खोई घडी खोज देगा उसे मैं १०० रुपये इनाम में दूंगा.”

फिर क्या था , सभी बच्चे जोर-शोर दे इस काम में लगा गए…वे हर जगह की ख़ाक छानने लगे , ऊपर-नीचे , बाहर, आँगन में ..हर जगह…पर घंटो बीत जाने पर भी घडी नहीं मिली.

अब लगभग सभी बच्चे हार मान चुके थे और किसान को भी यही लगा की घड़ी नहीं मिलेगी, तभी एक लड़का उसके पास आया और बोला , ” काका मुझे एक मौका और दीजिये, पर इस बार मैं ये काम अकेले ही करना चाहूँगा.”

किसान का क्या जा रहा था, उसे तो घडी चाहिए थी, उसने तुरंत हाँ कर दी.

लड़का एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा…और जब वह किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी.

किसान घड़ी देख प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा ,” बेटा, कहाँ थी ये घड़ी , और जहाँ हम सभी असफल हो गए तुमने इसे कैसे ढूंढ निकाला ?”

लड़का बोला,” काका मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुप-चाप बैठ गया, और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केन्द्रित करने लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी , जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और आलमारी के पीछे गिरी ये घड़ी खोज निकाली.”

Friends, जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढूढने में मददगार साबित हुई उसी प्रकार मन की शांति हमें life की ज़रूरी चीजें समझने में मददगार होती है . हर दिन हमें अपने लिए थोडा वक़्त निकालना चाहिए , जसमे हम बिलकुल अकेले हों , जिसमे हम शांति से बैठ कर खुद से बात कर सकें और अपने भीतर की आवाज़ को सुन सकें , तभी हम life को और अच्छे ढंग से जी पायेंगे .

शराब के फायदे!

शराब के फायदे!
1. शराब व्यक्ति की नैसर्गिक प्रतिभा को बहार निकलता है| जैसे कोई अच्छा डांसर है लेकिन अपनी शर्म की वजह से लोगो के सामने नहीं नाच पाता, दो घूंट अन्दर जाते ही अपना ऐसा नृत्य पेश करता है कि उसके सामने माइकल जेक्सन भी पानी न मांगे।
ऐसे कई उदहारण आपने शादी-विवाह के अवसर पर शराबियों को नृत्य करते हुए देखा होगा।
कोई नागिन बनकर जमीन में लोटता है,
कोई घूँघट डाल कर महिला नृत्य पस्तुत करता है,
जो शेयर - ओ - शायरी और साहित्यिक बातें सामान्य अवस्था में नहीं की जाती, शराब पीने के बाद कई लोगो को बड़ी बड़ी साहित्यिक बातें शेयर - ओ - शायरी भी करते देखा गया है।
2. शराब व्यक्ति के आत्मविस्वास को कई गुणा बढ़ा देती है।
दो घूंट अन्दर जाते ही चूहे की तरह डरने वाला डरपोक से डरपोक व्यक्ति भी शेर की तरह गुर्राने लगता है।
शराब पीने के बाद कई पतियों को अपनी पत्नी के आगे गुर्रारते हुए देखा गया है।
3. शराब व्यक्ति को प्रकृति के करीब लाता है।
दो घूंट अन्दर जाते ही शराबियो का प्रकृति प्रेम उभर कर सामने आ जाता है कई शराबी शराब का आनंद लेने के बाद ज़मीन, कीचड़, नाली आदि प्राकृतिक जगहों पर विश्राम करते पाए जाते है।
4. शराब व्यक्ति की भाषाई भिन्नता को कम कर देता है जो लोग अंग्रेजी बोलना तो चाहते है लेकिन नहीं बोल पाते, अंग्रेजी बोलने में हिचकिचाहट महसूस करते है दो घूंट अन्दर जाते ही ऐसी धरा प्रवाह अंग्रेजी बोलने लगते है कि बड़े से बड़ा अंग्रेज़ भी शरमा जाये ऐसे कई लोगो से आपका पाला पड़ा होगा।
5. शराब व्यक्ति को दिलदार बनाती है।
कंजूस से कंजूस व्यक्ति भी दो घूंट अन्दर जाते ही किसी सल्तनत के बादशाह की तरह व्यवहार करने लगता है।
ऐसे लोगो के जेब में भले फूटी कौड़ी न हो लेकिन ये लोग ज़माने को खरीदने में पीछे नहीं हटते है।

एक पहलवान

एक बार खूब लंबा-तगड़ा एक पहलवान बस में
चढ़ा।
कंडक्टर: भाई साहब, टिकट?
.
पहलवान: हम टिकट नहीं लेते।
.
कंडक्टर डर के मारे कुछ नहीं कर सका।
लेकिन कंडक्टर ने इस बात को दिल पर ले
लिया।
कंडक्टर जिम जाकर खूब मेहनत करने लगा।
.
पहलवान रोज बस में चढ़ता।
.
कंडक्टर रोज पूछता: भाई साहब,
टिकट?
.
पहलवान रोज जवाब देता: हम टिकट
नहीं लेते।
महीने में कंडक्टर पहलवान की तरह
तगड़ा हो गया।
.
पहलवान फिर बस में चढ़ा।
.
कंडक्टर: भाई, टिकट ले ले।
.
पहलवान: हम टिकट नहीं लेते।
.
कंडक्टर छाती चौड़ी करके बोला:
क्यों नहीं लेता तू ?
.
पहलवान: पास बनवा रखा है,
इसीलिए नहीं लेता।   

डॉक्टर साहब

एक डॉक्टर साहब एक पार्टी में गए।

अपने बीच शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर
को पाकर लोगों ने उन्हें घेर लिया।
किसी को जुकाम था तो किसी के पेट में गैस,
इसीलिए सभी मुफ्त की राय लेने के चक्कर
में डॉक्टर के पास पहुंच गए।

शिष्टाचारवश डॉक्टर साहब
किसी को मना नहीं कर पा रहे थे।

उसी पार्टी में शहर के एक नामी वकील
भी आए हुए थे, मौका मिलते ही डॉक्टर
साहब वकील साहब के पास पहुंचे और
उन्हें एक ओर ले जाकर बोले, यार! मैं
तो परेशान हो गया हूं, सभी फ्री में इलाज
कराने के चक्कर में हैं, तुम्हें भी ऐसे लोग
मिलते हैं क्या?

वकील- बहुत मिलते हैं।

डॉक्टर- तो फिर उनसे कैसे निपटते हो?

वकील- बिलकुल सीधा तरीका है, मैं उन्हें
सलाह देता हूं जैसा कि वो चाहते हैं, बाद में
उनके घर बिल भिजवा देता हूं।

यह बात डॉक्टर साहब को कुछ जम गई,
अगले रोज उन्होंने भी पार्टी में मिले कुछ
लोगों के नाम बिल बनाए और उन्हें
भिजवाने ही वाले थे कि तभी उनका नौकर
अन्दर आया और बोला, साहब, कोई आपसे
मिलना चाहता है।

डॉक्टर- कौन है?

नौकर- वकील साहब का चपरासी है,
कहता है कल रात पार्टी में आपने वकील
साहब से जो राय ली थी उसका बिल लाया है 

पिताजी

पिताजी के अचानक आ धमकने से
पत्नी तमतमा उठी- “लगता है, बूढ़े
को पैसों की ज़रूरत आ पड़ी है,
वर्ना यहाँ कौन
आनेवाला था! अपने पेट
का गड्ढ़ा भरता नहीं,
घरवालों का कहाँ से भरोगे?” मैं नज़रें बचाकर
दूसरी ओर देखने लगा। पिताजी नल पर हाथ-
मुँह
धोकर सफ़र की थकान दूर कर रहे थे। इस
बार
मेरा हाथ कुछ ज्यादा ही तंग हो गया। बड़े बेटे
का जूता फट चुका है। वह स्कूल जाते वक्त
रोज
भुनभुनाता है। पत्नी के इलाज केलिए
पूरी दवाइयाँ नहीं खरीदी जा सकीं।
बाबूजी को भी अभी आना था। घर में बोझिल
चुप्पी पसरी हुई थी। खाना खा चुकने पर
पिताजी ने
मुझे पास बैठने का इशारा किया। मैं शंकित
था कि कोई आर्थिक समस्या लेकर आये
होंगे।
पिताजी कुर्सी पर उठ कर बैठ गए। एकदम
बेफिक्र। “सुनो” कहकर उन्होंने मेरा ध्यान
अपनी ओर खींचा। मैं सांस रोकर उनके मुँह
की ओर
देखने लगा। रोम-रोम कान बनकर
अगला वाक्य
सुनने के लिए चौकन्ना था। वे बोले, “खेती के
काम
में घड़ी भर भी फुर्सत नहीं मिलती। इस बखत
काम
का जोर है। रात की गाड़ी से वापस जाऊँगा।
तीन
महीने से तुम्हारी कोई चिट्ठी तक नहीं मिली।
जब
तुम परेशान होते हो, तभी ऐसा करते हो।"
उन्होंने
जेब से सौ-सौ के सौ नोट निकालकर
मेरी तरफ
बढ़ा दिए, “रख लो। तुम्हारे काम आएंगे। धान
की फसल अच्छी हो गई थी। घर में कोई
दिक्कत
नहीं है। तुम बहुत कमजोर लग रहे हो। ढंग से
खाया-पिया करो। बहू का भी ध्यान रखो।" मैं
कुछ
नहीं बोल पाया। शब्द जैसे मेरे हलक में
फंसकर रह
गये हों। मैं कुछ कहता इससे पूर्व
ही पिताजी ने
प्यार से डांटा, “ले लो। बहुत बड़े हो गये
हो क्या?”
“नहीं तो।" मैंने हाथ बढ़ाया। पिताजी ने नोट
मेरी हथेली पर रख दिए। बरसों पहले
पिताजी मुझे
स्कूल भेजने के लिए इसी तरह हथेली पर
अठन्नी टिका देते थे, पर तब मेरी नज़रें आज
की तरह झुकी नहीं होती थीं। दोस्तों एक बात
हमेशा ध्यान रखे माँ बाप अपने बच्चो पर
बोझ
हो सकते हैं... बच्चे उन पर बोझ
कभी नही होते है...

स्कूल में छुट्टी की घोषणा

एक दिन किसी कारण से स्कूल में
छुट्टी की घोषणा होने के कारण,एक दर्जी का बेटा,
अपने पापा की दुकान पर चला गया ।
वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते
हुए देखने लगा ।
उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और
कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं ।
फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई
को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।
जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार
देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से
कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?
पापा ने कहा-बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?
बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं ,
आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के
नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे
टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?
इसका जो उत्तर पापा ने दिया-उन दो पंक्तियाँ में
मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।
उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और
सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह
हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह
हमेशा ऊपर होती है ।
यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और
कैंची को पैर के नीचे रखता हूं........!!
शेयर जरुर करे दोस्तों ........!!!!

तीन भारतीयों के हाथों में गूगल की कमान

तीन भारतीयों के हाथों में गूगल की कमान

इकनॉमिक टाइम्स | Jul 23, 2014, 09.21AM IST

शैली सिंह, नई दिल्ली
हाल तक निकेश अरोड़ा गूगल के चीफ बिजनेस ऑफिसर और सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले एग्जेक्युटिव थे। अब वह कंपनी छोड़कर जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद 60 अरब डॉलर की दिग्गज ग्लोबल सर्च कंपनी की कमान तीन भारतीय इंजीनियर्स के हाथों में रहेगी।

गूगल को जहां से ताकत मिलती है, वे काम अमित सिंघल, सुंदर पिचाई और श्रीधर रामास्वामी के जिम्मे हैं। ये तीनों सीधे गूगल के को-फाउंडर और सीईओ लैरी पेज को रिपोर्ट करते हैं। वे गूगल के उस ग्रुप का हिस्सा हैं, जिसे एल-टीम यानी 'लैरी की टीम' के नाम से जाना जाता है।

इनोवेशन और नए प्रॉडक्ट्स लाने का काम यही तीन लोग करते हैं और कंपनी के 40,000 एंप्लॉयीज में से ज्यादातर उन्हें रिपोर्ट करते हैं। सिंघल, पिचाई और रामास्वामी भी अरोड़ा की तरह वाइस प्रेजिडेंट हैं। वे गूगल के टॉप 8 एग्जेक्युटिव्स वाले ग्रुप का हिस्सा हैं।

गूगल के ऐड प्रॉडक्ट्स की इंजीनियरिंग रामास्वामी के जिम्मे है। गूगल की कमाई में विज्ञापन का सबसे बड़ा रोल है। सिंघल सर्च ऑपरेशंस हेड करते हैं और वह 'गूगल फेलो' भी हैं। कंपनी में यह खिताब टॉप साइंटिस्ट्स को ही मिलता है। पिचाई कंपनी के मौजूदा 'हॉट बिजनेसेज'- क्रोम, एंड्रॉयड और एप्स चलाते हैं।

उन्हें कभी माइक्रोसॉफ्ट की टॉप पोस्ट का दावेदार माना जाता था। हालांकि इस साल फरवरी में यह पद सत्या नाडेला को मिला। पिचाई को 2013 में ऐंड्रॉयड का जिम्मा सौंपा गया था। ऐंड्रॉयड वह ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिस पर दुनिया के 70 पर्सेंट स्मार्टफोन चलते हैं।

गूगल के फाउंडर लैरी पेज ने ब्लूमबर्ग बिजनसवीक को दिए हालिया इंटरव्यू में कहा था, 'पिचाई को टेक्नॉलजी की जबरदस्त समझ है। नए प्रॉडक्ट्स के बारे में सोचने में उनका जवाब नहीं है। इस तरह का कॉम्बिनेशन बहुत कम लोगों में दिखता है। इसी वजह से वह ग्रेट लीडर हैं।' गूगल यह जानकारी नहीं देती है कि इन तीनों की सैलरी कितनी है और उन्हें कंपनी के कितने स्टॉक्स सैलरी पैकेज के तौर पर दिए गए हैं।

क्या इन तीनों में से कोई एक किसी दिन गूगल का सीईओ बन सकता है? कुछ लोगों का कहना है कि अरोड़ा के मुकाबले इनमें से किसी एक के सीईओ बनने के चांसेज ज्यादा हैं। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के फॉर्मर चेयरमैन रवि वेंकटेशन ने कहा, 'इनोवेशन पर निर्भर किसी प्रॉडक्ट कंपनी को टेक्नॉलजी में महारत रखने वाले बॉस की जरूरत होगी।'

ईएमए पार्टनर्स इंटरनैशनल के मैनेजिंग पार्टनर के सुंदरेशन का कहना है कि गूगल जैसी कंपनियों की रीढ़ टेक्नॉलजी है। इन तीन भारतीयों के पास वह खूबी है, जो उन्हें गूगल का बॉस बना सकती है। अरोड़ा में यह खूबी नहीं थी।

Mr Bean Meets The Queen

Mr Bean Meets The Queen

छोटा सा गाँव

छोटा सा मेरा गाँव पुरा बिग बाजार था
एक नाई एक खाती एक काला लुहार था ।
छोटे छोटे घर हर आदमी बङा दिलदार था
छोटा सा मेरा गाँव पुरा बिग बाजार था ।
कही भी रोटी खा लेते हर घर मे भोजन तैयार
था
बटोङो पर घीया तौरी लग जाती जिसके
आगे शाही पनीर बेकार था ।।
छोटा सा मेरा गाँव पुरा बिग बाजार
था ।।।
दो मिनट की मैगी नही झटपट दलिया तैयार
था ।
नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार थे
मिट्टी का मटका कसकर बजा लेते
राजु पुरा संगीतकार था ।।
मेरा छोटा सा मेरा गाँव पुरा बिग बाजार
था ।।।
मुलतानी मिट्टी से गांव के जोहङ मे नहा लेते
साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था
और फिर कब्बड्डी खेल लेते कौनसा हमारे
क्रिकेट का खुमार था ।।
छोटा सा मेरा गाँव पुरा बिग बाजार
था।।।
बुड्ढे लोगो की बातें सुन लेते
कौनसा टेलीविजन और अखबार थे
सभी एक दुसरे को देखकर राजी थे सभी मे बहुत
प्यार था ।।
छोटा सा मेरा गाँव पुरा बिग बाजार
था ।।।
वो प्यार वो संस्कृति अब मै कहाँ से लाऊ
यह सोच सोच कर मै बहुत परेशान हुं
अगर वही समय आ जाऐ तो बहुत मजा आ जाए
और फिर मै अपनी असली जिंदगी जी पाऊ
और मै फिर ईस धरती पर सौ सौ शीश झुकाऊ
।।।
भारत माता की जय

Some Important Portals & their Founders


1. Google— Larry Page & Sergey Brin
2. Facebook— Mark Zuckerberg
3. Yahoo— David Filo & Jerry Yang
4. Twitter— Jack Dorsey & Dick Costolo
5. Internet— Tim Berners Lee
6. Linkdin— Reid Hoffman, Allen Blue&
Koonstantin Guericke
7. Email— Shiva Ayyadurai
8. Gtalk— Richard Wah kan
9. Whats up— Brian Acton and Jan Koum
10. Hotmail— Sabeer Bhatia
11. Orkut— Buyukkokten
12. Wikipedia— Jimmy Wales
13. You tube— Steve Chen, Chad Hurley &
JawedKarim
14. Rediffmail— Ajit Balakrishnan
15. Nimbuzz— Martin Smink & Evert Jaap
Lugt
16. Myspace— Chris Dewolfe & Tom
Anderson
17. Ibibo— Ashish Kashyap
18. OLX— Alec Oxenford & Fabrice Grinda
19. Skype— Niklas Zennstrom,JanusFriis &
Reid Hoffman
20. Opera— Jon Stephenson von Tetzchner &
Geir lvarsoy
21. Mozilla Firefox— Dave Hyatt & Blake Ross
22. Blogger— Evan Willams..

Evening Refreshment

एक नौजवान ने एक बुजुर्ग से
पूछा :बाबा बताएं जब एक दिन
दुनिया से जाना है तो फिर लोग पैसो के पीछे
क्यों भागते हैं ?.
.
जब जमीन जायदाद जेवर यहीं रह
जाते हैं तो लोग
इनको अपनी जिन्दगी क्यों बनाते हैं ??.
.
जब रिश्ते निभाने
की बारी आती है तो दोस्त
ही दुश्मनी क्यों निभाते
हैं ??.
.
बुजुर्ग ने गौर से तीनों सवाल सुने और
अपनी जेब में हाथ डाला....
.
नौजवान बड़े गौर से सब देख रहा था...फिर
उस बुज़ुर्ग ने
अपनी जेब से माचिस
की डिब्बी निकली....
.
माचिस की डब्बी से तीन
तीलियाँ निकाली.
.
दो तीलियाँ उसने उस लड़के की तरफ
फेंक दी...
एक उसके दायें में और एक बायीं तरफ....
.
और एक तीली को आधा तोड़
कर उपर वाला भाग फेंक दिया...लड़का ये
सब बड़े गौर से देख
रहा था.
.
इसके बाद बाबा ने बची हुई
तीली के नीचे वाले भाग
को नुकीला बनाया...और आसमान
की तरफ देखा....
.
लड़के
की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी...
.
बाबा ने नुकीला हिस्सा अपने मुँह में
डाला और
अपने दांत कुरेदते हुए बोले -.
.
मुझे क्या मालूम उल्लू के पट्ठे...
हा हा हा