ऐसा है !

ऐसा है !

जितने भी मैजिस्ट्रेट, मैजेस्टि, डॉक्टर, कलेक्टर, अध्यापक, वकील. एस. पी. , डी.एस. पी. , कार्यरत, रिटायर्ड हैं; ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि सबके बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़े, वहीं ज्ञानार्जन करें l

जो ऐसा नहीं करे उसे आज्ञा उलंघन में अर्थ दंड का प्रवधान हो, सभी सरकारी आय अर्जन करने वाले अगर ऐसा करने लगे तो इन सारकारी स्कूलों का शैक्षणिक अस्तर क्या होगा यह कोई कहने की बात नहीं है l

अध्यापक किस तरह ज्ञानार्पण करेंगे, सही समय पर विद्यालय आयेंगे, आवशयक मानदंड पर शिक्षा देंगे उच्च स्तरीय व मध्य स्तरीय जीवन यापन करने के साथ-साथ उन निम्न स्तरीय जीवन यापन करने वालों को भी उस पद्धिति की शिक्षा का भान हो सकेगा, जिन पर आज सरकारी स्कूलों में होने के कारण कोई बिशेष दृष्टिपात नहीं किया जाता है l

और जो बेतन भोगी उम्र के तक़ाजे से या किसी और कारण शिक्षा देने में असमर्थ हो गए हैं, या जो किसी जुगाड़ी परक्रिया के तहत शिक्षक बने हुए हैं वह स्वत: स्तीफ़ा सौंप देंगे, और उनकी जगह योग्य और कुशल नए युवाओं को मैका भी मिल सकेगा l

ऐसे में सभी को समान रूप यथोचित शिक्षा का प्रावधान हो सकेगा, और शैक्षिक आधार पर भेद शून्य होने पर जो शिक्षा के स्तर में जो अचानक उछाल आने की संभावना होगी l

तो ऐसे में भी भारत देश के बच्चे भी नई मिसाल कायम कर सकेंगे l

सफलता का रहस्य.....



एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो. दूसरे दिन दोनों मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा
, लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वह बेहोश नहीं होने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके अलावा और कोई रहस्य नहीं है

किसान की घड़ी

एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसे तो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था.
उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे में खोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर तामाम कोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चय किया की वो इस काम में बच्चों की मदद लेगा और उसने आवाज लगाई , ” सुनो बच्चों , तुममे से जो कोई भी मेरी खोई घडी खोज देगा उसे मैं १०० रुपये इनाम में दूंगा.”
फिर क्या था , सभी बच्चे जोर-शोर दे इस काम में लगा गए…वे हर जगह की ख़ाक छानने लगे , ऊपर-नीचे , बाहर, आँगन में ..हर जगह…पर घंटो बीत जाने पर भी घडी नहीं मिली.
अब लगभग सभी बच्चे हार मान चुके थे और किसान को भी यही लगा की घड़ी नहीं मिलेगी, तभी एक लड़का उसके पास आया और बोला , ” काका मुझे एक मौका और दीजिये, पर इस बार मैं ये काम अकेले ही करना चाहूँगा.”
किसान का क्या जा रहा था, उसे तो घडी चाहिए थी, उसने तुरंत हाँ कर दी.
लड़का एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा…और जब वह किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी.
किसान घड़ी देख प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा ,” बेटा, कहाँ थी ये घड़ी , और जहाँ हम सभी असफल हो गए तुमने इसे कैसे ढूंढ निकाला ?”
लड़का बोला,” काका मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुप-चाप बैठ गया, और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केन्द्रित करने लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी , जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और आलमारी के पीछे गिरी ये घड़ी खोज निकाली.”
Friends, जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढूढने में मददगार साबित हुई उसी प्रकार मन की शांति हमें life की ज़रूरी चीजें समझने में मददगार होती है . हर दिन हमें अपने लिए थोडा वक़्त निकालना चाहिए , जसमे हम बिलकुल अकेले हों , जिसमे हम शांति से बैठ कर खुद से बात कर सकें और अपने भीतर की आवाज़ को सुन सकें , तभी हम life को और अच्छे ढंग से जी पायेंगे .