ऐसा है !

ऐसा है !

जितने भी मैजिस्ट्रेट, मैजेस्टि, डॉक्टर, कलेक्टर, अध्यापक, वकील. एस. पी. , डी.एस. पी. , कार्यरत, रिटायर्ड हैं; ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि सबके बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़े, वहीं ज्ञानार्जन करें l

जो ऐसा नहीं करे उसे आज्ञा उलंघन में अर्थ दंड का प्रवधान हो, सभी सरकारी आय अर्जन करने वाले अगर ऐसा करने लगे तो इन सारकारी स्कूलों का शैक्षणिक अस्तर क्या होगा यह कोई कहने की बात नहीं है l

अध्यापक किस तरह ज्ञानार्पण करेंगे, सही समय पर विद्यालय आयेंगे, आवशयक मानदंड पर शिक्षा देंगे उच्च स्तरीय व मध्य स्तरीय जीवन यापन करने के साथ-साथ उन निम्न स्तरीय जीवन यापन करने वालों को भी उस पद्धिति की शिक्षा का भान हो सकेगा, जिन पर आज सरकारी स्कूलों में होने के कारण कोई बिशेष दृष्टिपात नहीं किया जाता है l

और जो बेतन भोगी उम्र के तक़ाजे से या किसी और कारण शिक्षा देने में असमर्थ हो गए हैं, या जो किसी जुगाड़ी परक्रिया के तहत शिक्षक बने हुए हैं वह स्वत: स्तीफ़ा सौंप देंगे, और उनकी जगह योग्य और कुशल नए युवाओं को मैका भी मिल सकेगा l

ऐसे में सभी को समान रूप यथोचित शिक्षा का प्रावधान हो सकेगा, और शैक्षिक आधार पर भेद शून्य होने पर जो शिक्षा के स्तर में जो अचानक उछाल आने की संभावना होगी l

तो ऐसे में भी भारत देश के बच्चे भी नई मिसाल कायम कर सकेंगे l

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