Joke a part of Life

एक रेलगाड़ी चलते चलते अचानक पटरी से उतरकर आजू-बाजू के खेतों में घुस गई और फिर से वापस पटरी पर आ गई। सारे यात्री डर के मारे सहम गए। अगले ही स्टेशन पर रेलगाड़ी के चालक को पकड़ लिया गया। जाँच अधिकारी ने चालक से
इसका कारन पूछा।

चालक ने बताया कि एक आदमी पटरी पर खड़ा था और मेरे कई बार हार्न बजाने के बावजूद वह पटरी से नहीं हट रहा था।

जाँच अधिकारी ने कहा, "तुम पागल हो क्या ? एक आदमी की जान बचाने के लिए तुमने इतने लोगों की जान खतरे में डाल दी। तुम्हें तो उस आदमी को कुचल देना चाहिए था।"

चालक: वही तो मैं करने जा रहा था लेकिन जैसे ही गाड़ी उसके एक दम नजदीक पहुंची वह कम्बख्त खेतों में इधर उधर भागने लगा।   


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Girl to another girl: You are beautiful.
Other girl: Thank you, you are beautiful too.

&

BOY to another boy: You are handsome.
Other boy: Tu Gay to nahi hai na saale?   
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भिखारी:-
दादी रोटी दीजिए खाने के
लिए
.
.
दादी:- अभी तैयार नहीं है,
बाद में आना
.
.
भिखारी: 98xxxxxxxx
ये मेरा मोबाइल नंबर है, तैयार
होते ही मिस कॉल कर देना
.......
"भिखारी rocks दादी shocks"
.
.
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त
.
.
दादी:- अरे मिस कॉल
क्या करना, थोड़ी देर के बाद
जब
रोटी बन जाएगी
तो WhatsApp पर अपलोड कर
दूंगी डाउनलोड करके
खा लेना !!
.
.
"अब दादी rocks
भिखारी shocks" 

लकड़ी का कटोरा

लकड़ी का कटोरा :
एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु – बेटे के
यहाँ शहर रहने गया . उम्र के इस पड़ाव पर
वह अत्यंत कमजोर हो चुका था , उसके हाथ
कांपते थे और दिखाई भी कम देता था .
वो एक छोटे से घर में रहते थे , पूरा परिवार और
उसका चार वर्षीया पोता एक साथ डिनर
टेबल पर खाना खाते थे . लेकिन वृद्ध होने के
कारण उस व्यक्ति को खाने में
बड़ी दिक्कत
होती थी .
कभी मटर के दाने
उसकी चम्मच से निकल कर फर्श पे
बिखर जाते तो कभी हाँथ से दूध
छलक कर मेजपोश पर गिर जाता .
बहु -बेटे एक -दो दिन ये सब सहन करते रहे
पर अब उन्हें अपने पिता की इस
काम से चिढ होने लगी . “ हमें
इनका कुछ करना पड़ेगा ”, लड़के ने कहा . बहु ने
भी हाँ में हाँ मिलाई और
बोली ,” आखिर कब तक हम
इनकी वजह से अपने खाने
का मजा किरकिरा रहेंगे , और हम इस तरह
चीजों का नुक्सान होते हुए
भी नहीं देख सकते .”
अगले दिन जब खाने का वक़्त हुआ तो बेटे ने एक
पुरानी मेज को कमरे के कोने में
लगा दिया , अब बूढ़े
पिता को वहीँ अकेले बैठ कर
अपना भोजन करना था . यहाँ तक
की उनके खाने के
बर्तनों की जगह एक
लकड़ी का कटोरा दे दिया गया था ,
ताकि अब और बर्तन ना टूट -फूट सकें .
बाकी लोग पहले
की तरह ही आराम से
बैठ कर खाते और जब कभी -कभार
उस बुजुर्ग की तरफ देखते
तो उनकी आँखों में आंसू दिखाई देते .
यह देखकर भी बहु-बेटे का मन
नहीं पिघलता ,वो उनकी छोटी से
छोटी गलती पर ढेरों बातें
सुना देते . वहां बैठा बालक भी यह
सब बड़े ध्यान से देखता रहता , और अपने में
मस्त रहता .
एक रात खाने से पहले , उस छोटे बालक को उसके
माता -पिता ने ज़मीन पर बैठ कर कुछ
करते हुए देखा , ”तुम क्या बना रहे हो ?” पिता ने
पूछा ,
बच्चे ने मासूमियत के साथ उत्तर दिया , “ अरे मैं
तो आप लोगों के लिए एक
लकड़ी का कटोरा बना रहा हूँ ,
ताकि जब मैं बड़ा हो जाऊं तो आप लोग इसमें
खा सकें .” ,और वह पुनः अपने काम में लग
गया . पर इस बात का उसके माता -पिता पर बहुत
गहरा असर हुआ ,उनके मुंह से एक
भी शब्द
नहीं निकला और आँखों से आंसू
बहने लगे . वो दोनों बिना बोले
ही समझ चुके थे कि अब उन्हें
क्या करना है . उस रात वो अपने बूढ़े
पिता को वापस डिनर टेबल पर ले आये , और फिर
कभी उनके साथ अभद्र व्यवहार
नहीं किया .